भजन

भजन
उठो साथियों समय नहीं है . . . .
उठो साथियों समय नहीं है, शोभा और श्रृङगार का।
आज चुकाना ऋण है हमको, ‘परमप्रभुजी’ के प्यार का।।टेक।।
जान हथेली पर ले करके, चलना है मैदान में ।
फर्क नहीं आने देना है, परमप्रभु जी की शान में ।
सत्य के पीछे मर-मिट जाना, धर्म यही इन्सान का ।। आज .
अत्याचार-अनीति-झूठ, पाखण्डी जनों से लड़ना है ।
दैहिक-दैविक-भौतिक कष्ट को धीरज पूर्वक सहना है ।
टूट पड़े मैदाने जंग मंे, खड्ग सम्हालो ‘ज्ञान’ का ।। आज
प्रभु भक्ति-सेवा सिद्धान्त का पालन करो जी जान से ।
मौत का संकट समाने आये, डरो नहीं तूफान से ।
कभी न भूलें याद करें हम, परमप्रभु जी के एहसान का ।। आज
ज्ञान-क्रान्ति का बजा बिगुल, बन्दर-अंगद-हनुमान बनो ।
पा×चजन्य श्री कृष्ण का बोला, भीम-अर्जुन बलवान बनो ।
चारो तरफ हो रही चर्चा, प्रभु सेवक हनुमान का ।। आज.
व्रत ले पीछे जो हटता है, कायर-हिजड़ा कहलाता है ।
जाहिल-बुजदिल कहे लोग, वो घोर नरक में जाता है ।
शपथ साथियों हम सबको है, प्रभु सदानन्द सरकार का ।। आज 
प्रेम से बोलिए--
शरणागत भक्तवत्सल कृपा सागर दीनबन्धु लीला बिहारी
किशुन श्रृंगारी नन्दन आनन्दकन्द प्रभु सदानन्द मनमोहन
भगवान् की जय ।